आप जो ध्यान सिखाते हैं, वह पतंजलि के राजयोग से किस प्रकार भिन्न है? -
जैसे मैं पतंजलि से भिन्न हूं, ऐसे ही। जिस ध्यान की मैं बात कर रहा हूं, कहना चाहिए, वह मेरा ही है। लेकिन मेरे का ‘मैं’ से कोई लेना-देना नहीं है। मेरा सिर्फ इस अर्थ में कि मैं किसी दूसरे को प्रमाण बना कर कुछ भी कहूं, तो वह भरोसे की बात नहीं। मेरा इसी अर्थ में कि जो भी मैं कह रहा हूं वह अनुभव है, विचार नहीं है। जो भी मैं कह रहा हूं वह किसी शास्त्र से संगृहीत नहीं है, स्वयं से जाना हुआ है।